निष्काम कर्म
कर्म प्रधान है ये दुनिया,
फल पर किसी का बस नहीं,
कर्तव्य समझ हर कर्म करो,
इससे बढ़ कर कोई धर्म नहीं।
फल की इच्छा त्याग कर,
उचित कर्म तू करता जा,
फल तुझे अवश्य मिलेगा,
प्रभु की ईच्छा समझ कर,
बस तू स्वीकार करता जा।
मोह का बंधन त्याग कर,
निष्काम कर्म तू करता जा,
मोक्ष तुझे अवश्य मिलेगा,
प्रभु का नाम बस जपता जा।
यही है गुढ़ रहस्य कर्मयोग का,
आवागमन से तू मुक्त हो जाएगा,
मिलेगा प्रभु की शरण तुझे,
लोक कल्याण तू करता जा।।
निष्काम कर्म ही है एक उपाय,
जो इस भवसागर से पार कराय,
गीता का यही है एक उपदेश,
इसी से मोक्ष का द्वार खुल जाय।
नागेन्द्र देवांगन
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