बेटी हो सूरज की तरह
चाँद न बनाओ बेटी को,
बनाओ बेटी को सूरज की तरह,
बुरी नजर वालों की आंख चौन्ध जाय,
फौलाद भर दो सूरज की तरह।।
क्यों बनाते हो खिलौनों की तरह,
कोमल की हैवान खेल जाता है,
ता उम्र दर्द झेलनी पड़ती बेटी को,
या मौत गले लगा लेती है,
तैयार करो बेटी को इस तरह,
अंगार भर दो भठ्ठी की तरह,
चाँद न बनाओ बेटी को,
बनाओ बेटी को सूरज की तरह।।
कब तक रोती रहेगी बेटी,
इस पापी संसार में,
कब तक सहती रहेगी बेटी,
अत्याचार इस सामाज में,
अब तो हो उद्धार बेटियों का,
काटों संग खिल जाय गुलाब की तरह,
चाँद न बनाओ बेटी को,
बनाओ बेटी को सूरज की तरह।।
बेटी दुर्गा भी है लक्ष्मी भी है,
वक्त पड़ने पर बनती काली भी है,
देख रूप सरस्वती और सती का,
ये दुनिया बेटी पर भारी भी है,
वक्त है बनाओ रणचण्डी की तरह,
तैयार हो जाय महाकाली की तरह,
चाँद न बनाओ बेटी को,
बनाओ बेटी को सूरज की तरह,
बुरी नजर वालों की आंख चौन्ध जाय,
फौलाद भर दो सूरज की तरह।।
नागेन्द्र देवांगन
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