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आरक्षण

आरक्षण

आरक्षण आरक्षण सुन सुन कर कान पक गये है। क्या है ये आरक्षण?? इस आरक्षण के कारण आज हमारा देश पंगु बन गया है, अपाहिज की भांति हो गया है। इस आरक्षण के कारण देश का विकास जैसे चींटी की चाल चल रही हो। यहां आरक्षण के नाम पर राजनीति होती है। आरक्षण वोट बैंक बन गया है।

पूछता हूँ क्या संविधान निर्माता श्री भीम राव अम्बेडकर जी ने इसी दिन के लिए आरक्षण का प्रावधान रखा था संविधान में। नहीं, उन्होंने ने तो सिर्फ 10 वर्ष के लिए अस्थायी रूप से आरक्षण का प्रावधान सविंधान में रखा था। ताकि आजादी के पूर्व जो शोषित वर्ग थे, जिन्हें जाती व्यवस्था के कारण ऊंच नीच के भेदभाव के कारण सामाजिक एवं सरकारी  लाभ एवं गतिविधियों से वंचित रहना पड़ा था। उन शोषित वर्ग के लोगों के विकास के लिए आरक्षण का प्रावधान कुछ वर्षों के लिए किया गया था। उन तत्कालीन शोषित वर्ग के लोगों को उनका अधिकार दिलाने के लिए और यह आवश्यक भी था। ताकि उनके साथ जो अन्याय हुआ है जिसके कारण वह समाज से दूर रहे हैं उनका विकास नहीं हो पाया है तो इस आरक्षण का लाभ लेकर वे अपना विकास  कर समाज में अपना एक उचित स्थान बना सकें जिसके लिए प्रारंभिक कुछ वर्ष काफी थे। अंबेडकर जी को इस बात का आभास था कि यह आरक्षण आगे चलकर बहुत घातक सिद्ध होगा इसलिए उन्होंने इसे केवल 10 वर्ष के लिए रखा था ताकि 10 वर्ष पश्चात इनकी स्थिति को देखकर इस प्रावधान को खत्म किया जा सके। किंतु 10 वर्षो बाद भी इसे नहीं हटाया गया जब उन शोषित वर्ग के लोगों को उनके अधिकार मिल चुके थे, उनका विकास हो रहा था और अब समाज से भेदभाव भी मिट गया था।  तो इस आरक्षण की प्रावधान को हटा दिया जाना चाहिए था । लेकिन अब यहाँ तो राजनीति के ठेकेदार बैठे हैं जो व्यक्तिगत स्वार्थ और वोट बैंक के लिए आरक्षण को पूर्ण रूप से संविधान में स्थायी रूप दे दिया गया। व्यक्तिगत स्वार्थ ने देश को अपाहिज बना दिया, कानून को खेल बना दिया। हर क्षेत्र में आरक्षण, शिक्षा हो या नोकरी या अन्य कोई क्षेत्र, आरक्षण के कारण योग्य व्यक्ति के जगह अयोग्य व्यक्ति को स्थान मिलता है।तो देश का विकास कैसे होगा? यह आरक्षण देश को पंगु बना के रखा है। जब तक आरक्षण रहेगा तब तक देश का सर्वांगीण विकास संभव नहीं है।

जब कोई इस आरक्षण को हटाने की बात करता है तो उसके विरोध में पूरा दलित समाज खड़ा हो जाता है और 2-2 किलो का सोना गले में धारण कर कहता है, मैं दलित हूँ हमारे साथ बहुत अन्याय हुआ है।। ये आरक्षण खत्म नहीं होने देंगे। अरे भाई माना जब ऊंच नीच के भेदभाव के कारण जब तुमने और तुम्हारे पूर्वजों ने जो शोषण और अन्याय झेला है वह अत्यंत दयनीय और दुःखद था। मगर आजादी के बाद तुम्हें आरक्षण देकर तुम्हारे विकास में सहायता दिया गया। अब तुम्हारी स्थिति बेहतर हो गयी है। अब तो अपने ऊपर से ये दलित नाम का कलंक हटाओ।। 

मैं पूछना चाहता हूं कि तुम अपने आने वाली पीढ़ी को भी दलित कहलवाना पसन्द करोगे।। क्या तुम यही चाहते हो कि यह समाज तुम्हे हमेशा इसी नाम से जाने और पुकारे।। 

भाई जो पहले के लोग किये वो अशिक्षा के कारण किये। अब तुम भी शिक्षित हो गए और समाज भी तो क्यों न हम सब मिलकर समाज को एक नई दिशा दें।  इस आरक्षण जैसे दीमक को हमेशा के लिए खत्म कर दें।। क्योकि यह देश को खोखला कर रहा है।।

हम सभी प्रकृति की संतानें है। प्रकृति ने हम सबको समान रूप से बनाया है और प्रकृति में जो भी उपलब्ध है उस पर सभी प्राणियों का सामान रूप से अधिकार है। इस पर किसी प्रकार का आरक्षण आवश्यक नहीं है।। किंतु किसी कारणवश कोई प्राणी प्रकृति से ही सबके समान नहीं है यदि वह शारीरिक रूप से अपाहिज है तब ऐसी स्थिति में ऐसे लोग आरक्षण के हकदार हैं और इन्हें आरक्षण दिया जाना चाहिए। और जो प्रकृति से पूर्ण रूप से सक्षम है उनको किसी प्रकार से आरक्षण की आवश्यकता नहीं है।

जब किसी प्रकार का कोई आरक्षण नहीं रहेगा तो सभी लोग पूरी निष्ठा के साथ मेहनत करेंगे और अपनी योग्यता के अनुसार स्थान प्राप्त करेंगे। इससे सबको समानता का अधिकार मिलेगा और जिस पद और स्थान के लिये जो व्यक्ति योग्य है उसे ही वह पद और स्थान मिलेगा। यही सबके लिये सहीं रहेगा और देश के लिये भी।  जो मेहनत करेगा उसे ही उसका फल मिलेगा। और किसी अयोग्य व्यक्ति के किसी उच्च पद पर होने के कारण जो अन्याय इस देश के लोगों को सहना पड़ता है उससे मुक्ति मिलेगी।।

 आरक्षण से हमें लाभ क्या है केवल इतना ही ना कि हमें शिक्षा के क्षेत्र में कम अंक आने पर भी हमें उच्च पढ़ाई करने के लिए  जैसे इंजीनियरिंग हो मेडिकल की पढ़ाई हो या अन्य कोई भी क्षेत्र जिसमें हमें स्थान मिल जाता है तो क्या हम इसका लाभ उठा पाते हैं 100 में से एक या दो ही इसका लाभ उठा पाते होंगे जो शुरू से ही मेहनत किए रहते हैं बाकी तो बचपन से ही उनको आरक्षण का भूत सवार रहता है। जो उनको बचपन से ही उनके दिमाग में डाल दी जाती है कि बेटा हम दलित हैं हमें आरक्षण प्राप्त है बस तू पास हो जा 45-50 प्रतिशत लेके बाकी आरक्षण जिंदाबाद है तुम्हें मेडिकल या इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने के लिये। आरक्षण के चलते 80 से 90% लाने वाला विद्यार्थी मेडिकल या अन्य किसी भी क्षेत्र में पढ़ाई के लिए एडमिशन नहीं ले पाता है और 45 से 50 परसेंट लाने वाला विद्यार्थी एडमिशन  ले लेता है। 
 अब बताओ बच्चा अभी तक आरक्षण के चलते यहां तक पहुंचा है तो क्या वह आगे  इस तरह से पढ़ाई कर पाएगा, इस तरह से शिक्षा ग्रहण कर पाएगा कि वह उच्च गुणवत्ता वाला डॉक्टर या इंजीनियर बन पाएगा, नहीं जो अभी तक मेहनत करना जानता ही नहीं है वह मेडिकल की पढ़ाई कैसे करेगा। अब वह जैसे तैसे किसी भी तरीके से मेडिकल की पढ़ाई  पास करके एक डॉक्टर बन जाता है लेकिन एक डॉक्टर की जो गुणवत्ता होनी चाहिए वह उसमें नहीं होती है जिसका परिणाम पूरे समाज को भुगतना पड़ता है एक अयोग्य डॉक्टर किसी मरीज का इलाज करेगा तो क्या यह संभव है की उस मरीज का वह उचित इलाज कर पाएगा । एक अयोग्य इंजीनियर उच्च गुणवत्ता की इमारत या पुल बना पायेगा।

इसी प्रकार  आरक्षण के कारण हर क्षेत्र में चाहे वो पढ़ाई हो नौकरी हो राजनीति हो या  अन्य कोई क्षेत्र योग्य व्यक्ति के जगह अयोग्य व्यक्ति आने के कारण कोई भी कार्य सही तरीके एवं उचित गुणवत्ता के साथ नहीं हो पाता है जिसका खामियाजा पूरे समाज को एवं देश के लोगों को भुगतना पड़ता है इस बात से कोई भी अनजान नहीं है सभी जानते हैं जो आरक्षण का लाभ ले रहे हैं वह भी इस बात को भलीभांति समझते हैं लेकिन व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण वह इसे त्यागना नहीं चाहते हैं और इसका खामियाजा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सभी भुगत रहे हैं।।

आरक्षण एक अपाहिज के बैसाखी के समान है ।आज हम आरक्षण के नाम पर अपने बच्चों को अपाहिज बना दिये है। जो देश और समाज के भविष्य है। जब देश और समाज के भविष्य को ही हम बचपन से बैसाखी का सहारा दे रहे है तो बताओ ये देश को क्या मजबूती दे पाएंगे?? देश को समाज को नई दिशा दे पाएंगे?? जो बच्चा मेहनत करके 80-90 % लाकर एक मुकाम तक पहुँचता है और 1 पद जिसका वह हकदार होता है, उसे कोई 45-50% वाला आरक्षण के बैसाखी का सहारा लेकर छीन लेता है। तब उस बच्चे पर क्या बीतती होगी जो इतनी मेहनत कर उस मुकाम तक पहुँचा होगा। देश में अनीति और अन्याय बढ़ रहा है इसका कारण क्या है?? जब एक उच्च पद में कोई अयोग्य व्यक्ति बैठ जाता है जो स्वयं कोई फैसला स्वविवेक से न ले पाए तो इसका परिणाम बहुत घातक होता है।। यही आज देश और समाज में देखने को मिलता है।।

देश को बचाने के लिए और देश की सर्वांगीण विकास के लिए आरक्षण रुपी दोष  को दूर करना ही होगा। सभी को समान रुप से अधिकार देना होगा सभी अपने-अपने स्तर पर मेहनत करेंगे और अपनी मेहनत के बलबूते पर जो योग्य व्यक्ति है  उसे ही जब उचित स्थान और पद प्राप्त होगा तब सही दिशा में देश का विकास होगा और सबको उसका सही लाभ भी प्राप्त होगा।
     नागेन्द्र देवांगन

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