मित्रता
दो अंजान परिंदों के बीच कायम ये रिश्ता है,
बन जाये दिल से दिल तक ये वो रिश्ता है,
जो बिना शर्त के निभाया जाए मरते दम तक,
ऐसा अटूट ,अविरल, अनंत ये रिश्ता है।
सगे संबधी सब जब छोड़ जाये,
फिर भी ये साथ निभाये,
हो सुख चाहे दुख की घड़ी,
इस रिश्ते पर कभी आँच न आये।
चाँद की तरह कोमल होती इसकी छाया,
मित्र के जीवन में अगर संकट आया,
करता रक्षा मित्र की बनकर छत्रछाया,
वक़्त आने पर जान पर खेल जान बचाया।
कभी रुसवा ना हो मित्र इस बात का ख्याल रखना,
कोई बात कभी ना दिल में दबाए रखना,
किसी पराए की बात में कभी ना आना,
चाहे जो हो जाए मित्र पर विश्वास बनाए रखना।
हो बात अगर दिल में बेझिझक कह देना मित्र से,
ना छुपाना कोई बात ना रखना कभी शंका,
जान चली जाए तो कोई गम नहीं होगा,
मगर धोखा मिले सच्चे मित्र से,
इससे बड़ा कोई सजा नहीं होगा।।
नागेन्द्र देवांगन
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