सच्चा प्रेम और त्याग
सच्चा प्रेम वही है, जिसकी भवना त्याग हो।
प्रेम के लिए माँ बाप का नहीं,
माँ बाप के लिये प्रेम का त्याग हो,
सच्चा प्रेम वही है, जिसकी भवना त्याग हो।।
न पाने की आस हो, न अपनी खुशी की तलाश हो,
बस तेरी खुशी में अपनी खुशी का एहसास हो,
गम न छू पाए तुझे ये तमन्ना है मेरी,
जहाँ भी रहो खुशहाली तुम्हारे पास हो।।
अपनी कहानी सच्चे प्रेम की है निसानी,
न कभी मिले न इजहार हुआ, फिर भी बेइंतहा प्यार हुआ,
दिल में दफन कर ली उसने हर आरजू अपनी,
उसके दिल की हर आवाज हमनें महसूस किया,,
कभी जूबां पे लायी न अपनी,
पर हर लब्ज मेरे दिल ने सुन लिया ।।
आयी जब रुत जुदाई की ,
तुम्हारा दिल भी तड़प उठी होगी,
कुछ कहना था पर कह न सकी,
जुबां पे माँ बाप का नाम आयी थी,,
बोली आपको कुछ सालो से हूँ जानती,
माँ बाप ने तो मुझे दी सारी जिंदगी,
कैसे भूल जाऊं उनका प्यार,
करूँ ता उम्र उनकी मैं बंदगी।।
ये सुन मेरे दिल की आवाज सुन हो गई,
देख त्याग की मूरत हवा भी रुन्द हो गई,
मुझे गर्व है मेरे प्यार पर, जो भंग हो गई,
जिससे हुआ वो तरंग हो गई,
सच्चे प्रेम की पहचान हो गई
माँ बाप के लिये तू कुर्बान हो गई...।।
हर माँ बाप को मिले बेटी तेरी तरह,
जो सजदा कर दे माँ बाप के लिये,
हर वो माँ बाप खुसनशीब होगी,
जिसकी तेरी जैसी बेटी होगी,
ये दुनिया कितनी खूबसूरत हो जाएगी
जब हर बेटी की सोच तेरी तरह हो जाएगी।।
सच्चा प्रेम वही है…………..
नागेन्द्र देवांगन
Comments
Post a Comment